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– फोटो : Amar Ujala
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केंद्र सरकार, राज्य सरकार से लेकर स्थानीय निकायों की सरकारें गरीब (ईडब्ल्यूएस) बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्हें स्कूलों तक लाने का प्रयास कर रही हैंं। इसके बावजूद पब्लिक स्कूल गरीब बच्चों को अपने स्कूलों में प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे है। राजधानी के 124 पब्लिक स्कूलों ने तो गत दो वर्ष के दौरान गरीब बच्चों को प्रवेश ही नहीं दिया गया।
वहीं पूरी दिल्ली के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए आरक्षित सीटों में से वर्ष 2021-22 में 32.94 प्रतिशत व वर्ष 2022-23 के दौरान 29.60 प्रतिशत सीटें खाली रह गईं। दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में एक विधायक के प्रश्न के दिए गए उत्तर में शिक्षा विभाग ने यह खुलासा किया।
सरकारी विभागों से रियायती दरों पर जमीन लेने वाले पब्लिक स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान होता है। इस तरह वर्ष 2021-22 में शिक्षा विभाग के सभी 12 जिलों के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 39139 सीट आरक्षित थीं, जबकि वर्ष 2022-23 के दौरान पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों की सीटें बढ़कर 46196 हो गई थीं, मगर दोनों वर्ष यह सभी सीटों पूरी नहीं भरी गई।
वर्ष 2021-22 में 12893 और 13678 सीटें खाली रह गईं। विभागीय कार्रवाई के बाद कुछ स्कूलों ने तो गरीब बच्चों को प्रवेश दे दिया, मगर अनेक स्कूलों को इस पर नोटिस जारी किया और एक नामी स्कूल की तो मान्यता तक रद्द कर दी गई।
ऐसे में विभाग की कार्रवाई के खिलाफ कुछ स्कूल कोर्ट चले गए। उनका मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।शिक्षा विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक वेस्ट-बी जिला के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 7898 सीट आरक्षित हैं।